हिम्मतपुर काकामई में आयोजित हुआ वैदिक महायज्ञ और आर्य सम्मेलन |

वैदिक महायज्ञ और आर्य सम्मेलन

महायज्ञ में हुए वृहद यज्ञ का विहंगम दृश्य 
   10 जून 2016 को हिम्मतपुर काकामई में आयोजित हुए वैदिक महायज्ञ और आर्य सम्मेलन में आर्य विद्धानों ने लोगों को आर्य समाज के मर्म की जानकारी दी। पूरे दिन बही ज्ञान की गंगा में अनुयायी अभिभूत होते रहे। वहीं मेधावियों को सम्मानित किया गया।

        आर्य युवा जागृति संस्थान के तत्वाधान में आयोजित हुए कार्यक्रम की शुरूआत जयप्रकाश शास्त्री के यज्ञ के साथ आरंभ हुई जिसमें वातावरण की शुद्धि के साथ चेचक और खसरा जैसी बीमारियों की वायुमंडल में व्याप्त वायरसों को समाप्त करने के लिए औषधियुक्त हवन आहुतियां यज्ञकुंड में समर्पित की। कार्यक्रम में आर्यसमाज की ध्वज पताका मेधाव्रत शास्त्री ने फहराई तथा आचार्य प्रेमपाल शास्त्री व आचार्य देवराज शास्त्री ने लोगों को आर्य समाज के महत्व और उसके उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आर्य समाज धर्म नहीं जीवन जीने की कला सिखाने वाली प्रक्रिया है, जो व्यक्ति को ज्ञानवान, शक्तिवान, चरित्रवान बनाने पर जोर देती है।
       
आर्य सम्मेलन में पधारे आर्य जन 
       सम्मेलन में यशपाल शास्त्री व भीषमपाल आर्य ने भी आर्यजीवन प्रक्रिया के बारे में बताया। इस मौके पर ग्राम पंचायत हिम्मतपुर काकामई में इस वर्ष मेधावी रहे विद्यार्थियों को आर्य विद्धानों ने पुरस्कृत किया। कार्यक्रम का संचालन ज्ञानवीर सिंह ने किया। सम्मेलन में काफी संख्या में आर्य अनुयायी और क्षेत्रीय नागरिक मौजूद थे।
मंच पर उपस्थित बांये से आचार्य प्रेमपाल शास्त्री, आचार्य देवराज शास्त्री, स्वामी लक्ष्मणानन्द, आचार्य जयप्रकाश शास्त्री 
समाचार पत्र में प्रकाशित सम्मेलन की खबर 

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