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मेघालय का राज्यपाल बनने पर दी बधाई |

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आज दिनांक 1 अक्टूबर 2017 को आर्य समाज, हिम्मतपुर काकामई, जनपद एटा द्वारा श्री जयप्रकाश शास्त्री जी ने  आर्य प्रतिनिधि सभा, बिहार के प्रधान श्री गंगाप्रसाद आर्य जी को मेघालय का राज्यपाल बनने पर बधाई दी |

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी को राष्ट्रपति पद का पदभार ग्रहण करने पर दीं शुभकामनाएं |

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भारत के  राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी को राष्ट्रपति पद का पदभार ग्रहण करने पर पुष्पगुच्छ देकर शुभकामनाएँ देते श्री जयप्रकाश शास्त्री जी |   आर्य समाज हिम्मतपुर काकामई, जनपद एटा की ओर से भारत के  नवनिर्वाचित महामहिम राष्ट्रपति श्रीमान रामनाथ कोविन्द जी को श्री  जयप्रकाश शास्त्री जी एवं विवेक आर्य ने मिलकर शुभकामनाएं दीं। उन्हें  आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी द्वारा लिखित  पुस्तक "सत्यार्थ प्रकाश" भी भेंट की गई। श्री कोविन्द जी का आर्य समाज  से बचपन से ही जुड़ाव है। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा भी डी.ए.वी. कॉलेज  से की है और वे यज्ञ प्रेमी भी हैं। समय-समय पर वैदिक पद्धति से यज्ञ के  आयोजन वे कराते रहते हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कहा कि वे  "सर्वे भवन्तु सुखिनः" की भावना से राष्ट्र की सेवा करेंगे।

राष्ट्रपति उम्मीदवार श्री रामनाथ कोविंद जी को भेंट किया सत्यार्थ प्रकाश |

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श्री रामनाथ कोविंद जी को महर्षि दयानन्द सरस्वती कृत अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश भेंट करते हुए श्री जयप्रकाश शास्त्री जी एवं आचार्य कुंवरपाल शास्त्री जी  आर्य समाज हिम्मतपुर काकामई की ओर से आज  # NDA  के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार व बिहार के वर्तमान राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद जी का श्री जयप्रकाश शास्त्री जी, आचार्य कुंवरपाल शास्त्री जी एवं विवेक आर्य ने महर्षि दयानन्द सरस्वती कृत "सत्यार्थ प्रकाश" भेंट कर शुभकामनाएं दीं।

हिम्मतपुर काकामई में आयोजित हुआ वैदिक महायज्ञ और आर्य सम्मेलन |

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वैदिक महायज्ञ और आर्य सम्मेलन महायज्ञ में हुए वृहद यज्ञ का विहंगम दृश्य      10 जून 2016 को हिम्मतपुर काकामई में आयोजित हुए वैदिक महायज्ञ और आर्य सम्मेलन में आर्य विद्धानों ने लोगों को आर्य समाज के मर्म की जानकारी दी। पूरे दिन बही ज्ञान की गंगा में अनुयायी अभिभूत होते रहे। वहीं मेधावियों को सम्मानित किया गया।         आर्य युवा जागृति संस्थान के तत्वाधान में आयोजित हुए कार्यक्रम की शुरूआत जयप्रकाश शास्त्री के यज्ञ के साथ आरंभ हुई जिसमें वातावरण की शुद्धि के साथ चेचक और खसरा जैसी बीमारियों की वायुमंडल में व्याप्त वायरसों को समाप्त करने के लिए औषधियुक्त हवन आहुतियां यज्ञकुंड में समर्पित की। कार्यक्रम में आर्यसमाज की ध्वज पताका मेधाव्रत शास्त्री ने फहराई तथा आचार्य प्रेमपाल शास्त्री व आचार्य देवराज शास्त्री ने लोगों को आर्य समाज के महत्व और उसके उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आर्य समाज धर्म नहीं जीवन जीने की कला सिखाने वाली प्रक्रिया है, जो व्यक्ति को ज्ञानवान, शक्तिवान, चरित्रवान बनाने पर जोर देती है।         आर्य सम्मेलन में पधारे आर्य जन         सम्म

आर्य समाज हिम्मतपुर काकामई की प्रगति यात्रा अवश्य पढ़ें |

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आर्य समाज हिम्मतपुर काकामई की स्थापना आर्य समाज        आर्यसमाज की स्थापना सन् 1875 में मुंबई के काकणवाणी में युग प्रवर्तक, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेता, वेदोद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने की थी | इस समाज का मुख्य उद्देश्य लोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करना, वेदों का प्रचार करना, समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों, अन्धविश्वास, पाखण्ड, ढोंग-आडम्बर आदि को समाप्त करना था | इसका समाज में सकारात्मक प्रभाव भी हुआ | समाज में व्याप्त कुरीति सतीप्रथा पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा | आर्य समाज के आन्दोलन के कारण ही स्त्री-शिक्षा, विधवा विवाह आदि को लोगों ने समझा और अपनाया | आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी                                स्थापना        इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश प्रान्त में जनपद एटा के ग्राम हिम्मतपुर काकामई में कुछ प्रबुद्ध नागरिकों आचार्य प्रेमपाल शास्त्री जी, श्री रामचंद्र जी (प्रधान), श्री राजवीर सिंह जी ‘कवी’, श्री वासुदेव जी आदि लोगों ने मिलकर जून 1984  में आर्य समाज हिम्मतपुर काकामई की स्थापना करने के लिए वेद प्रचार का कार्